admission of a partner class 12 notes in hindi

साझेदार का प्रवेश क्या है ?

admission of a partner class 12 notes in hindi :- साझेदार का प्रवेश से मतलब व्यवसाय में नए साझेदार का प्रवेश करने से है और व्य्वसाय में नए साझेदार की जरूरत निम्न कारणों से होती है, जब व्यवसाय के विस्तार के लिए अधिक पूंजी की आवयसकता हो, जब business को चलाने के लिए अधिक अनुभवी व्यक्ति की जररूत हो, जब किसी प्रभावसाली और विख्यात व्यक्ति को साझी बनाकर व्यापार की ख्याति और प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए। 

और किसी योग्य कर्मचारी को प्रोत्साहित करने के लिए साझेदार बना लिया जाए। 

नए साझेदार के प्रवेश से साझेदारी फर्म का पूर्णगठन हो जाता है , ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि इससे साझेदारों का वर्तमान अनुबंध समाप्त हो जाता है और एक नया अनुबंध प्रारम्भ हो जाता है। 

नए साझेदार के प्रवेश के नियम 

किसी भी फर्म में नए साझेदार के प्रवेश के समय नया साझेदारी संलेख बनाना पड़ता है क्यूंकि पुराना संलेख समाप्त हो जाता है। और भारतीय साझेदारी अधिनियम की धारा 31 नंबर 1 के अंतर्गत नया साझेदार तभी बनाया जाता है जब सभी साझेदार सहमत होते है। 

नए साझेदार द्वारा जब फर्म में प्रवेश किया जाता है तो वो अपने साथ कुछ पूंजी लेकर आता है और पुराने साझेदारों द्वारा अपने हिस्से में से कुछ त्याग कर उसे लाभों में हिस्सा प्रदान करते है। 

नए साझेदारों के प्रवेश होने पर निम्नलिखित समायोजनों की जरूरत होती है :-

  1. नए लाभ विभाजन अनुपात ज्ञात करना। 
  2. ख्याति का लेखांकन व्यवहार 
  3. संचयो और संचित लाभों का लेखांकन व्यवाहर 
  4. साझेदारों की पुँजियो को नए लाभ -विभाजन अनुपात में समायोजित करना। 
  5. संपत्ति और दायित्वों का फिर से मुलायकन के लिए लेखांकन व्हवहार 

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  3. साझेदारी फर्म का पुर्नगठन क्या होता है ?

Conclusion 

इस पोस्ट में हमने जाना की साझेदार का प्रवेश क्या है ? और इसके क्या जरूरत है और नए साझेदार के प्रवेश करने के क्या नियम है। 

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